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प्रभु यिशु क्या कहता है
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परिवार सृष्टि के प्रारम्भ से ही, ‘परमेश्वर ने उन्हें पुरुष और स्त्री के रूप में रचा है।’ ‘इसीलिये एक पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा। और वे दोनों एक तन हो जायेंगे।’ इसलिए वे दो नहीं रहते बल्कि एक तन हो जाते हैं। इसलिये जिसे परमेश्वर ने मिला दिया है, उसे मनुष्य को अलग नहीं करना चाहिए।” |
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बच्चे फिर लोग यीशु के पास नन्हें-मुन्ने बच्चों को लाने लगे ताकि वह उन्हें छू कर आशीष दे। किन्तु उसके शिष्यों ने उन्हें झिड़क दिया। जब यीशु ने यह देखा तो उसे बहुत क्रोध आया। फिर उसने उनसे कहा, “नन्हे-मुन्ने बच्चों को मेरे पास आने दो। उन्हें रोको मत क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों का ही है। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ जो कोई परमेश्वर के राज्य को एक छोटे बच्चे की तरह नहीं अपनायेगा, उसमें कभी प्रवेश नहीं करेगा।” फिर उन बच्चों को यीशु ने गोद में उठा लिया और उनके सिर पर हाथ रख कर उन्हें आशीष दी। |
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चेले यीशु ने कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ, कोई भी ऐसा नहीं है जो मेरे लिये और सुसमाचार के लिये घर, भाईयों, बहनों, माँ, बाप, बच्चों, खेत, सब कुछ को छोड़ देगा। और जो इस युग में घरों, भाईयों, बहनों, माताओं, बच्चों और खेतों को सौ गुना अधिक करके नहीं पायेगा-किन्तु यातना के साथ और आने वाले युग में अनन्त जीवन। और बहुत से वे जो आज सबसे अन्तिम हैं, सबसे पहले हो जायेंगे, और बहुत से वे जो आज सबसे पहले हैं, सबसे अन्तिम हो जायेंगे।” |
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सबसे बड़ा आदेश यीशु ने उत्तर दिया, “सबसे महत्त्वपूर्ण आदेश यह है… सुन! केवल हमारा परमेश्वर ही एकमात्र प्रभु है। समूचे मन से, समूचे जीवन से, समूची बुद्धि से और अपनी सारी शक्ति से तुझे प्रभु अपने परमेश्वर से प्रेम करना चाहिये। दूसरा आदेश यह है: ‘अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम कर जैसे तू अपने आप से करता है। इन आदेशों से बड़ा और कोई आदेश नहीं है।” |
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प्रधान “तुममें से जो कोई बड़ा बनना चाहता है, वह तुम सब का दास बने। और जो तुम में प्रधान बनना चाहता है, वह सब का सेवक बने क्योंकि मनुष्य का पुत्र तक सेवा कराने नहीं आया है, बल्कि सेवा करने आया है। और बहुतों के छुटकारे के लिये अपना जीवन देने आया है।” |